शेष 5वीं कडी से आगामी भाग :
कई जातियों में अपने मृतकों को ईश्वर या कुलदेवता, पित्तर के रुप देने का रिवाज है। इसलिए ब्राहमणों ने अब्राहम को अपना देवता करार देना कोई आश्चर्य की बात नही है। भाषा विज्ञान ने यह साबित किया है कि भारतीय भूभाग से बौद्ध धर्म को उखाडकर उसकी जगह ब्राह्मण धर्म की स्थापना करने वाले गुप्त शासक इजिप्ट के कॉप्टिक-ज्यु (Coptic Jews) तथा ईसाई (Quft) थे। गुप्त शासक ब्रह्म के कट्टर पुजारी थे, ना की ब्रह्मा के।
कई अध्ययनों द्वारा यह स्पष्ट हुआ है की भारत के ब्राहमण (अब्राहमवंशी ) दरअसल असीरियनों द्वारा भगाई गई ज्यु लोगों की दस जनजातियाँ ही थीं और यह बात सप्तर्षि के बेटे कहलाने वाले ब्राहमणों के गोत्रों से भी स्पष्ट होती है।
Source : (Dalit-Voice, 16-30 April. p.8-9)
जिस तरह का बर्ताव सप्तर्षि के पुत्र ब्राह्मण शेष भारतीय जैसे देसी ब्राह्मण व पूराणों के किसी ऋषि-मुनि की औलाद बताने वाले ब्राहमण, किसी राजा की औलाद घोषित करने वाले क्षत्रिय राजपूत, वेश्य, आदिवासी व कामगार-किसानों की हर जाति से घृणास्पद बर्ताव करते हैं, यहूदी भी वैसा ही बर्ताव समारिटनों के साथ करते थे।
भारत के चितपावन ब्राह्मणों ने लिंडा-काक्स का लेख मारीन-पॅटसन के अध्ययन का तथा मानव-वंशवादी शोध निष्कर्ष का उदाहरण देकर खुद के यहूदी होने के दावे को साबित किया है।
Source : (VT Rajshekhar, p.86-89, Why Godse killed Gandhi)
शेष भाग सातवीं कङी में जारी है....
संकलित:- त्रि-इब्लिसी शोषण-व्यूह-विध्वंस (p.223-224)
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दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 1
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 2
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 3
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 4
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 5
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दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 7
अपौरुषेय-बाणी
बाबा-राजहंस
कई जातियों में अपने मृतकों को ईश्वर या कुलदेवता, पित्तर के रुप देने का रिवाज है। इसलिए ब्राहमणों ने अब्राहम को अपना देवता करार देना कोई आश्चर्य की बात नही है। भाषा विज्ञान ने यह साबित किया है कि भारतीय भूभाग से बौद्ध धर्म को उखाडकर उसकी जगह ब्राह्मण धर्म की स्थापना करने वाले गुप्त शासक इजिप्ट के कॉप्टिक-ज्यु (Coptic Jews) तथा ईसाई (Quft) थे। गुप्त शासक ब्रह्म के कट्टर पुजारी थे, ना की ब्रह्मा के।
कई अध्ययनों द्वारा यह स्पष्ट हुआ है की भारत के ब्राहमण (अब्राहमवंशी ) दरअसल असीरियनों द्वारा भगाई गई ज्यु लोगों की दस जनजातियाँ ही थीं और यह बात सप्तर्षि के बेटे कहलाने वाले ब्राहमणों के गोत्रों से भी स्पष्ट होती है।
- गौड या गौर ब्राह्मण ज्यु लोगों की गाड ( Gad) जनजाति है, सरस्वती गोत्र का नाम सारा के नाम के कारण आज तक कायम है।
- कान्य-कुब्ज ज्यु के कहाने (,kahane) जनजाति के लोग हैं,
- आचार्य दरअसल ज्यु की इसाचर (Issachar) जनजाति है,
- पाराशर दरअसल ज्यु लोगों की अशर (Asher, Asharaf) जनजाति है,
- मानस ज्यु लोगों की मानासेह (Manasseh) जनजाति है,
- शर्मा ज्यु लोगों कख सायमन (Simeon) जनजाति है,
- उसी प्रकार महाभारत का युध्दिष्ठर युध्दा-यहूदा यानि ज्यु था,
- मिश्रा नामक गोत्र ज्यु लोगों का पवित्र कानून मिशना (Mishna) से बना है,
- ब्राह्मणों का कौल पारिवारिक नाम Chaldean/kaldean से बना है।
- दक्षिण भारत के समर्थ (Smartha) ब्राह्मण दरअसल समारियन (Samarian/ Samarium/ Sumerian हो सकते हैं।
- गोरखपुर में अड्डा जमाए आचार्य धर्मेन्द्र समर्थ समुदाय के कर्ताधर्ता माने जाते हैं।
- कट्टर यहूदियों में खोपड़ी की टोपी (Kippot) पहनने की प्रथा को भारत में कपर्दा (Kaparda) प्रथा के रूप में देखी जा सकती है, जिसमें चोटी को गांठ बांधने तथा चोटी के आसपास बालों का छोटा घेरा बनाया जाता है।
Source : (Dalit-Voice, 16-30 April. p.8-9)
जिस तरह का बर्ताव सप्तर्षि के पुत्र ब्राह्मण शेष भारतीय जैसे देसी ब्राह्मण व पूराणों के किसी ऋषि-मुनि की औलाद बताने वाले ब्राहमण, किसी राजा की औलाद घोषित करने वाले क्षत्रिय राजपूत, वेश्य, आदिवासी व कामगार-किसानों की हर जाति से घृणास्पद बर्ताव करते हैं, यहूदी भी वैसा ही बर्ताव समारिटनों के साथ करते थे।
भारत के चितपावन ब्राह्मणों ने लिंडा-काक्स का लेख मारीन-पॅटसन के अध्ययन का तथा मानव-वंशवादी शोध निष्कर्ष का उदाहरण देकर खुद के यहूदी होने के दावे को साबित किया है।
Source : (VT Rajshekhar, p.86-89, Why Godse killed Gandhi)
शेष भाग सातवीं कङी में जारी है....
संकलित:- त्रि-इब्लिसी शोषण-व्यूह-विध्वंस (p.223-224)
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दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 1
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 2
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 3
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 4
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 5
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अपौरुषेय-बाणी
बाबा-राजहंस
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