चौथे भाग से आगे....
अति महत्वपूर्ण कङी जरुर पढें
हम चाहते हैं कि आर्थिक व्यवस्था हम यहूदियों के हाथ में केंद्रित हो जाए ताकि गैर यहूदियों के लिए सर्वहारा बनकर अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए गैर यहूदी हमारे सामने आत्मसमर्पण करने के सिवा उनके पास कोई दूसरा चारा न रहे।
- हमें हर संभव असंभव तरीके से स्थापित करना है कि जो भी हमारी सर्वोच्च सत्ता के आगे आत्मसमर्पण करता है, उसकी रक्षा की जाती है।
- हमें गैर-यहूदियों को हमारे अधीन कर्जों में डूबोकर गैर-यहूदियों को उनकी जमीन-खनिज से बेदखल करना है। इस तरीके से वे हमारे आगे नम्रता से आत्मसमर्पण कर देंगे।विदेशी कर्जा ऐसी जोंक हैं जो देश के बरबाद होने के बाद भी देश राज्य के शरीर से दूर नही होती हैं। इसलिए वे हमसे और भी ज्यादा विदेशी कर्जा लेते रहेंगे और हम राजनीतिक और आर्थिक संधियों के द्वारा अथवा कर्जे की शर्तों द्वारा इन देशों की सरकारों के महत्वपूर्ण सूत्र अपने हाथों में रखेंगे, ऐसा करते समय एक ओर हम गैर-यहूदी जनता व उनकी सरकारों के सामने ईमानदार होने का दिखावा करेंगे तो दूसरी ओर अपने सारे समझोते करते समय मक्कारी का इस्तेमाल करना चाहिए।
- हम अपने यहूदियों को गैर-यहूदी सामाजिक संरचनाओं की उनकी ही भाषाओं की, मानव जीवन के छिपे हुए मनोवैज्ञानिक तथ्यों की, उनकी प्रवृत्तियों, कमजोरियां, गैर-यहूदियों की मानसिकता, उनके दुर्गुण, उनकी क्षमताएं, समूहों की विशिष्टताएँ और स्थितियों में प्रशिक्षित कर यहूदी के लाभ के लिए गैर-यहूदियों को जैसा चाहे वैसा ही नियंत्रण करेंगे।
- मीडिया प्रचार-प्रसार माध्यमों के रूप में हमने गैर-यहूदियों को प्रभावित करने तथा खुद छुपे रहने की शक्ति प्राप्त कर ली है। गैर-यहूदियों ने सोचने समझने की आदत छोड दी है, वे हमारे विशेषज्ञों के सुझाव के बाद ही सोचने लगते हैं।
- हमारे विशेषज्ञों द्वारा चालाकी से बनाए गये, सिद्धांत तथा कुशलपूर्वक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए तथा चालाकी द्वारा गैर-यहूदियों को निर्देशित करना हमारी व्यवस्थापन बुद्धि का नतीजा है।
- पहली कतार में यहूदी मीडिया होगा जो केवल यहूदियों के हित की ही बात को जोर शोर से उठायेगा, दूसरे रूप में सौम्य रूप से यहूदियों के हित की बात करेगा और हमारे द्वारा ही पैदा किया गया तीसरा मीडिया यहूदियों के खिलाफ होने और गैर-यहूदी जनता का समर्थक होने का ढोंग करेगा।
- तीसरी कतार का मीडिया मूल मुद्दों को ना छूते हुए या उथली सतह पर हमारे खिलाफ लड़ाई छेड देगा। इसका सबसे बडा फायदा यह होगा की यहूदियों के दुश्मन अपने सारे राज और अपनी सारी रणनीति हमारे सामने खोलकर रख देगा। इसका यह भी फायदा है कि लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता का ढोंग बना रहेगा।
- मसलन हमारे द्वारा निर्मित मीडिया हर तरह का होगा जैसे राजशाही समर्थक, जनतांत्रिक, क्रांतिकारी, यहाँ तक के आतंकवाद को पुरस्कृत करने वाला मीडिया भी हमारे द्वारा ही नियंत्रित होगा। यहूदी फायदे के लिए जब जिस तरह के जनमत की जरुरत होगी, वैसा ही हमारे द्वारा तैयार किया जाता है।
- हम गैर-यहूदियों के दिमाग की स्मृतियों से इतिहास की वे सारी चीजें मिटा देंगे, जिन्हें हम अपने लिए ठीक नही मानते हैं तथा वे ही घटनाएँ कायम रखी जावेंगी जो गैर-यहूदियों की गलतियों से सम्बंधित होंगी।
- हम परस्पर विचारों से गैर-यहूदियों को परस्पर विरोधी मतों, धार्मिक ऐतिहासिक विचारों इतना मतिभ्रमित, अचम्भित व कनफ्यूजन पैदा कर देते हैं कि जनता खुद का कोई मत बनाने की बजाय हमारे द्वारा बनाए निर्देशों का ही पालन करती है।
- हमारे शासन की सफलता के लिए दूसरी जरुरत यह है की हमने राष्ट्रीय असफलताओं, आदतों, वासनाओं तथा नागरिक जीवन जीवन की स्थितियों को कई गुणा बढा देना है, ताकि किसी को यह समझना असंभव हो जाए की इस अव्यवस्था में वह कहां है, ताकि इसके नतीजे में वे एक-दूसरे को समझ ही ना सके।
- हम यहूदी उन सभी पक्षों में मतभेद पैदा कर सकते हैं जो हमारे आगे आत्मसमर्पण नही करना चाहते तथा हमारे प्रयत्न को नाकाम बना सकते हैं जो हमारे मामले में बाधा बन सकते हैं। इनमें देश के वे प्रमुख सत्ताधीश भी शामिल हैं जो हमारे व्यापारिक हितों को नजर-अंदाज करते रहे हैं, जिसमें इराक, सीरिया, लीबिया, कोरिया आदि देश शामिल हैं।
- हम महत्वपूर्ण पदों पर जनविरोधी गैर-यहूदियों को स्थापित करने में मदद करेंगे और जो हमारे निर्देशों को मानने से इनकार करेंगे उन्हें अपराधिक मामलों में उलझा दिया जायेगा या फिर बेमौत मारा जायेगा।
- हमने गैर-यहूदी संगठनों में बड़ी ही नम्रता से प्रवेश करके संगठन के उन स्त्रोतों पर कब्जा किया है, जिनसे ये संगठन संचालित होते हैं।
- हमने किसी भी देश के सात प्रमुख अंगों (पदों) जैसे शासक, मंत्री, कोष, न्याय व्यवस्था, चुनाव यंत्रणा, प्रचार-प्रसार माध्यम, शिक्षा-धार्मिक क्षेत्र, कोष, दंड क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।
- किसानों व आदिवासी-कबाइलियों के क्षेत्रों में उन पर तरह-तरह के इल्जामात लगाकर व उन्हें अपराधी घोषित कर जब चाहे उन्हें नेस्तनाबूद कर उनकी जर-जंगल-जमीन व खनिज-सम्पदाओं पर कब्ज़े कर लिये हैं और किये जा रहे हैं।
- युवक-युवतियों को ऐसी किसी विचारधारा के बारे में हम जानते हैं की वह एकदम झूठ है, उनके दिमाग में झूठमूठ का इतिहास व धार्मिक कथा-कहानियां बिठाकर उन्हें इस कदर मतिभ्रमित व भ्रष्ट कर दिया है की वे अपनी ही जाति में सिमट कर रह गये हैं और वे एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते हैं तथा देश तो क्या वे किसी एक राज्य में भी एकजुट व एकमत होने की स्थिति में भी काबिल नही रह पाते हैं।
- मौजूदा नियम-कानूनों में परिवर्तन किये बिना उनके विरोधाभास को लेकर इस प्रकार से व्याख्या की गई है कि इसके स्पष्टीकरण ने इन नियम-कानूनों को अपने में इस कदर छुपा लिया है कि बाद में उसका अस्तित्व ही समाप्त जैसा हो गया है और हमने गैर-यहूदियों के संविधान व धार्मिक मामलों में जनता को ऐसे ऐसे अधिकार घोषित किये हैं जो केवल कल्पनाओं में ही पाये जाते हैं तथा ऐसे नियम-कानूनों के विरुद्ध भी ऐसे नियम-कानून बनाए हैं जो किसी व्यक्ति को जैसा हम चाहें वैसा ही न्याय मिले। भले ही किसी भी धर्म समुदाय को आप अपना समझते रहें, मगर उन सभी धर्मों व इतिहास में हमारे विशेषज्ञों द्वारा बनाई गये सामाजिक धार्मिक नियम-कानून के अलावा भ्रमित ऐतिहासिक व धार्मिक कथा-कहानियां वहाँ की भाषाओं में एक-दूसरे के इतिहास व धार्मिक किताबों में मिलेंगी।
शेष आगामी कङी 6 में जारी है.....
संकलित: त्रि-इब्लिसी शोषण-व्यूह-विध्वंस (p. 225-227
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दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 3
दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 4
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बाबा राजहंस
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