छटी-कडी का आगामी भाग:
हमने संपूर्ण यूरोप में तथा रशिया से सम्बन्ध रखने वाले अन्य देशों में असमाधान, मतभेद, धार्मिकवाद और हिंसा को बढा देना चाहिए। इसका हमें बहुत आर्थिक फायदा होगा। यह जानकार की हम इन देशों में फसाद पैदा कर सकते हैं तो फसाद शांत भी कर सकते हैं, इस तरहं से हम इन देशों को नियंत्रित रख सकते हैं।
दूसरी बात यह भी ध्यान रखनी चाहिए की कोई भी देश हमारे देश या हमारे संघ या संस्थाओं पर कडी कार्यवाही करे या हमारे देश पर हमला करे या नही करे, मगर सम्बंधित देश पर हमला करने के लिए, हमें अपने व्यापारिक हितों को ध्यान में रखने हेतु तथा सम्बंधित देश की अर्थ व्यवस्था तहस-नहस करने के लिए, हमें अपने देश में भी आत्मघाती हमला करवाने में संकोच नही करना चाहिए। समुंद्र में सुनामी कुदरत पैदा कर सकती है तो हम क्यों नही पैदा कर सकते। पैसों के लिए बेरोजगारों की भीड़ में भी किसी भी जाति धर्म के हजारों युवक हमारे लिए कुछ भी कर सकते हैं।
जब तक किसी भी घटना में हमारा हाथ न हो, विश्व के देश आपस में छोटे-मोटे समझौते भी नही कर सकते। अगर हम गैर-यहूदी राज्य की मिशनरी के रूप में एक भाग को आघात पहुँचाते हैं तो पूरा राज्य इंसानी शरीर की तरहं बीमार हो जाता है और ऐसे राज्य की मौत लाजिमी है।
हमारी गतिविधियों की कोई सीमा नही है। हमारी सर्वोच्च सरकारें गैर मामूली वैधानिक स्थितियों में भी कायम रहती हैं। हमसे से ही आतंक की शुरुआत होती है। हर मत के, हर विचारों और सिद्धांतों को मानने वाले राजशाही की स्थापना के इच्छुक लोगों को भावनाओं में बहाने वाले नेता, समाजवादी कम्युनिस्ट, नरम-गरम दल, तथा काल्पनिक व्यवस्था का स्वप्न देखने वाले सभी प्रकार के लोग हमारी सेवा में शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर गैर-यहूदी सत्ता के अवशेषों को नष्ट करने में जुटा है। इसकी वजह से सभी राज्य प्रताडना की स्थिति में है और शांति के लिए सबकुछ त्यागने को तैयार हैं। फिर भी इन्हें धर्म के मामलों में उलझाए रखना बहुत जरुरी है। क्योंकि किसी भी धर्म में उलझे रहने से जहां ये शांति की कामना करते हैं वहीं हम अधिक से अधिक व अति आधुनिक वैज्ञानिक व अत्याधुनिक वैज्ञानिक हथियार, मशीनरी व खाद्य-अखाद्य सामाग्री तैयार करते रहते हैं।
हमें गैर-यहूदियों को ऐसी शिक्षण-प्रशिक्षण देना चाहिए कि जब उन्हें किसी भूमिका की लेने की नौबत आए तो वे असहाय होकर रह जायें। गैर-यहूदी जनता इन सब अस्थिरता आन्दोलनों से इतनी तंग आ जायेगी की वे सामाजिक आर्थिक कष्ट को सहने की बजाय हम यहूदियों के हाथों प्रताड़ित होना पसंद करेंगे। लेकिन हम उन्हें तब तक शांति बहाल नही करेंगे और न होने देंगे जबतक ये जाहिर तौर पर हमारी अंतर्राष्ट्रीय सर्वोच्च शासन को मान्य करके हमारे आगे आत्मसमर्पण न कर दें। इन तमाम तरीकों से हम गैर-यहूदियों के मनोबल को इतना चूर-चूर कर देंगे की वो हमें अंतर्राष्ट्रीय सत्ता सौंपने पर मजबूर हो जायेंगे, जिससे हम बिना हिंसा के भी धीरे-धीरे विश्व की सारी सत्ता अपने हाथों में लेकर अपनी सर्वोच्च सत्ता कायम कर सकेंगे।
दुनिया को यह जान लेना चाहिए कि हम असाधारण रूप से शक्तिशाली और अजेय हैं और हमने जो चाहा है फौरन उसे अपने कब्जे में कर लिया है। हम अपनी शक्ति किसी से भी नही बांटेंगे, तब गैर-यहूदी भय से कांपने लगेंगे और वे हमारी ओर से किसी भी तरह से की जा रही कार्यवाही से अपनी आंखें हर बात से बंद कर लेंगे, उनके द्वारा अपनी आंखें बंद करने का दूसरा कारण यह होगा की हम उन्हें वादे करते रहेंगे कि शांति के दुश्मनों का दमन कर सभी पक्षों को शांत करते ही हम उन्हें उनकी सारी आजादी वापस कर देंगे।
एक शब्द में कहा जाए तो यूरोप और दुनिया की यहूदी सरकारों को अपने अनुसार नियंत्रित करने के लिए हमने उनमें से किसी एक को किसी न किसी रुप में अपनी आतंकवादी शक्ति का परिचय कराना चाहिए। अगर उनमें से कोई हमारे खिलाफ उठकर खडा होने की कोशिश करता है तो उसके मुकाबले में अमेरिका चीन या जापान की तोपें खडी कर देनी है। हमें हमेशा इस स्थिति में रहना चाहिए कि हमारे खिलाफ जाने वाले पडौसी देश को युद्ध द्वारा प्रतिक्रिया दे सके। लेकिन अगर वे सामुहिक रुप से हमारे खिलाफ उठ खडे होते हैं तो हमारी ओर से उन्हें विश्व युद्ध के रूप में उनको जवाब देना चाहिए।
यह है यहूदियों की विश्व विजय की योजना जिसके लिए हर यहूदी (Jewish, ज्यु) हर क्षेत्र में समर्पित है।
आठवाँ भाग आगामी कडी में
त्रि-इब्लिसी शोषण-व्यूह-विध्वंस p.226-227 संकलित
अपौरुषेय-बाणी
बाबा-राजहंस
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