यहूदी एवं राजनियम (दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 4) - Survey India

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Wednesday, 9 May 2018

यहूदी एवं राजनियम (दुनियां मे यहूदी और यहूदीवाद भाग 4)

चौथा भाग : 

यहूदी धर्म यहुदा नामक वंश ने विकसित किया है। इसलिए इसका नाम यहूदी रखा गया है।
(अबुल आला मौदुदी, इस्लाम प्रबोध p.2.) 

यहूदियों का धर्मग्रन्थ तोरा (Torah) है जो' उन्हें येरुशलम की झायन (Zion) नामक पहाड़ी से मिला था, इसलिए यहूदीवाद को झायनिजम/ झोरोस्ट्रीअन भी कहा जाता है।
" जेंद-अवेस्ता झोरोस्ट्रीअन (Zoroastrian) समुदाय का मुख्य ग्रंथ माना जाता  है।"

Jewish (यहूदी) मानते हैं कि ईश्वर द्वारा चुने गये वे सर्वश्रेष्ठ लोग हैं। यहूदीवाद का प्रमुख उद्देश्य सारे विश्व पर राज करना है। इसलिए उनके धर्म की युद्धगत विशेषताएँ हैं। यहूदियों की मान्यता है कि यहूदी राज्य का सम्राट पूरी दुनिया पर अपना नियंत्रण कायम करेगा।
इस आधुनिक युग में भी यहूदी बुजुर्गों की अहमियत बरकरार रही है।
विश्व पर कब्जा करने की यहूदीवादी ( Zionist) बुजुर्गों की योजना को यहूदी बुजुर्गों के राजनितिक नियम (the protocols of the Learned Elders of Zion, LEZ, लेज) के नाम से जाना जाता है।
यहूदीवादी बुजुर्गों के राजनीतिक नियम (protocol) किसी अन्य व्यक्ति के हाथों पडने पर उसकी हत्या कर दी जाती है।

मगर इनके राजनीतिक नियम एक महिला ने एक प्रभावशाली ज्यु (Jewish यहूदी) से चुराए थे और उन्हें किताब के रूप में प्रो. नाईलस ने सन 1905 में रशिया में प्रकाशित किया था।
नाईलस द्वारा लिखित किताब The Zionist Arthshashtra : the protocol of the learned elders of Zion में यहूदियों द्वारा विश्व पर नियंत्रण करने की योजना दी गई है जो संक्षेप में निम्नानुसार है:- 


  • यहूदीवाद के अनुसार भीङ हिंसक और जंगली होती है तथा स्वतंत्रता या मौका मिलते ही वह हिंसक हो जाती है और अराजकता को जन्म देती है। इसलिए दुनिया को हिंसक तरीके से आतंकित रखकर और उनपर शासन करने से ही सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं। 
  • "वर्तमान समय में "ISIS, RAS, ISI इसके उदाहरण हैं।"शासक बनने के इच्छुक व्यक्ति में मक्कारी तथा लोगों पर विश्वास करवाने में  माहिर होना चाहिए। इसलिए हमारा विश्वास है की शक्ति के उपयोग से लोगों को विश्वास करने पर मजबूर करो, किसी भी तरहं की शक्ति हासिल करने हेतु चाहे जो भी हो, उस नीति का उपयोग करो,शक्ति से ही राजनीतिक व देश के सभी मामले जीते जा सकते हैं।
  • अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें रिश्वत, विश्वासघात, धोखा, छलकपट, बेईमानी से परहेज नही करना चाहिए। हमें इस बात को समझना चाहिए की दूसरों की सम्पत्ति जर-जंगल-जमीन बेहिचक कैसे हासिल की जाए। इसके लिए चाहे कैसे भी अमानवीय कदम उठाने पडें, उठाने चाहिए, आतंकवादी उग्रवादी, बदमाश, आवारा दूसरे लोगों के लिए खतरनाक हो सकते हैं, मगर हमारे लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनके माध्यम से हमें  सत्ता व दूसरे लोगों द्वारा आत्मसमर्पण करवाने का लाभ मिलता है।
  • दूसरे व अन्य समुदाय के लोगों को यह समझ लेना चाहिए की तमाम अवज्ञाओं, सुविधाओं, संस्कृति व धर्म को तहस-नहस करने के लिए हम बेहद निर्दयी हो जाते हैं।
  • पूर्ण अधिनायकवाद के बिना सभ्यता (civilization) का अस्तित्व नही होता है। खुले मन का होना तथा ईमानदारी का बरताव करना आदि राजनीति के दुर्गुण व अभिशाप हैं। क्योंकि ये दुर्गुण किसी दुश्मन को भी अधिक कुशलता से शासक को सत्ता से नीचे खींच लेते हैं, इसलिए ये दुर्गुण गैर यहूदियों के लिए तो ठीक हैं, मगर हमें अपनी योजनाओं में अच्छे व नैतिक गुणों अपनाने की बजाय' हमें यह देखना चाहिए की हमारे यहूदी समुदाय के लिए क्या आवश्यक है और क्या उपयोगी है। (p.19-25)..........

संकलन : त्रि-इब्लिसी शोषण-व्यूह-विध्वंस-1 (p.224-225
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